बेंजोइक एसिड (बेंजोइक एसिड) (बेन्जो-ऐसिड) BENZOICUM ACIDUM (BENZONIC ACID)

बेंजोइक एसिड (बेंजोइक एसिड) (बेन्जो-ऐसिड) BENZOICUM ACIDUM (BENZONIC ACID)
परिचय-
बेंजोइकम एसिड औषधि के प्रयोग करने से इस औषधि का सबसे अधिक प्रभाव रोगी के पेशाब में दिखाई देता है। बेंजोइकम एसिड औषधि चयापचय क्रिया पर भी गहरा प्रभाव डालती है। यह औषधि वात, गठिया, सूजन, पतले दस्त, सिर दर्द, आतशक, सूजाक आदि रोगों के लिए अत्यधिक लाभकारी औषधि है। इस औषधि के सेवन से पेशाब का रंग बदल जाता है और रोगों के अनुसार पेशाब का रंग बदलता रहता है। रोगों को ठीक करने के लिए यह औषधि जितनी तीव्र व गहरी प्रतिक्रिया करती है रोगी के पेशाब का रंग उतना अधिक गहरा व बदबूदार होता जाता है। यह औषधि पेशाब में क्षार को लाता है और फिर उसे समाप्त करता है। बेंजोइकम एसिड औषधि के प्रयोग से गठिया तथा गुर्दे रोग भी ठीक होते हैं। जिन बच्चों को गोद में रहकर ही दूध पीने की आदत हो और बिस्तर पर लेटना नहीं चाहता हो तो ऐसे लक्षणों वाले बच्चे को बेंजोइकम एसिड औषधि के सेवन से इस तरह की आदतें छूट जाती है। इस औषधि के सेवन से बिस्तर पर पेशाब करने वाले बच्चे की बिस्तर पर पेशाब करने की आदत छूट जाती है।
बेंजोइकम एसिड औषधि का प्रयोग गठिया और दमा रोग में करने से रोग ठीक होता है। शरीर में उत्पन्न वाले दर्द जो अचानक अपना स्थान बदल लेता है। ऐसे लक्षणों वाले दर्द आदि में इस औषधि का प्रयोग करने से दर्द समाप्त होता है।
विभिन्न प्रकार के रोगों में बेंजोइकम एसिड औषधि का प्रयोग कर रोगों को ठीक किया सकता है।
1. मन से संबन्धित लक्षण :
व्यक्ति में किसी कारण से उत्पन्न होने वाले रोग के परिणामस्वरूप रोगी की मानसिकता खराब हो जाती है जिससे रोगी हमेशा अपने पिछली बातों को याद करता रहता है और चिन्तित होता रहता है। कुछ भी लिखते समय बीच में कुछ लिखना भूल जाता है। पागलपन उत्पन्न होता है। ऐसे मानसिक लक्षणों से ग्रस्त रोगी को ठीक करने के लिए बेंजोइकम एसिड औषधि का प्रयोग लाभकारी होता है।
2. सिर से संबन्धित लक्षण :
यदि रोगी का सिर चकराने के साथ ऐसा महसूस होता है कि वह दाईं या बाईं ओर गिर जाएगा तथा रोगी के कनपटियों की धमनियों में जलन और कानों के आसपास सूजन उत्पन्न होना आदि सिर रोग के लक्षणों में बेंजोइकम एसिड औषधि का सेवन करें। इसके अतिरिक्त सिर के अन्य लक्षण जैसे भोजन करते समय भोजन निगलने की आवाज कानों में सुनाई देना। जीभ पर घाव बन जाना और कान के पीछे सूजन आ जाना। माथे पर ठण्डा पसीना आना। मुंह में कांटे गड़ने जैसा अनुभव होना। मसूढ़ों की रंगत नीला पड़ जाना और उससे खून निकलना। वसार्बुद उत्पन्न होना। इस तरह के लक्षण उत्पन्न होने पर रोगी को ठीक करने के लिए बेंजोइकम एसिड औषधि का प्रयोग करना चाहिए। इससे सिर रोग के सभी लक्षण समाप्त होकर रोग ठीक होता है।
3. नाक से संबन्धित लक्षण :
नाक में खुजली होना तथा नाक की हड्डियों में दर्द होना आदि में बेंजोइकम एसिड औषधि का प्रयोग करना चाहिए। इससे नाक की खुजली व दर्द दूर होता है।
4. चेहरे से संबन्धित लक्षण :
चेहरे पर तांबे के रंग जैसा दाग बनना तथा चेहरे पर लाल रंग के छोटे-छोटे छाले निकलना। गालों पर लाल रंग का दाग आदि बनना। इस तरह के चेहरे पर होने वाले दाग-धब्बों में बेंजोइकम एसिड औषधि का सेवन करने से लाभ मिलता है।
5. आमाशय से संबन्धित लक्षण :
भोजन करते समय अधिक पसीना आना तथा पेट में भारीपन महसूस होना मानो पेट पर कोई चीज रखी हो। ऐसे में रोगी को बेंजोइकम एसिड औषधि का उपयोग किया जाता है।
6. पेट से संबन्धित लक्षण :
नाभि के आस-पास काटता हुआ दर्द होना तथा यकृत के पास चुभन वाला दर्द होना आदि पेट के रोगों में बेंजोइकम एसिड औषधि का सेवन करें।
मलाशय में चुभन और सिकुड़न महसूस होना। मलाशय में ऐसा महसूस होना जैसे मलाशय की परतें लटक रही हो। मलद्वार के चारों ओर खुजली होना और खुजलाने पर पनीला द्रव्य निकलना आदि में बेंजोइकम एसिड औषधि का सेवन करें।
7. मल से संबन्धित लक्षण :
पतला, झागदार, बदबूदार व हल्के रंग का दस्त आना तथा मल के साथ हवा निकलना आदि में बेंजोइक एसिड औषधि का प्रयोग लाभकारी होता है।
8. मूत्र से संबन्धित लक्षण :
बेंजोइकम एसिड औषधि का प्रयोग मूत्र रोग में पेशाब से तेज बदबू आने, पेशाब का रंग बदलने, पेशाब में सफेद रंग का पदार्थ आने तथा पेशाब का बार-बार आना जैसे रोगों में की जाती है। इससे पेशाब की बदबू तथा अन्य रोग दूर होकर पेशाब को साफ करता है। पेशाब के अन्य रोग जैसे पेशाब बूंद-बूंद करके आने पर भी सेवन करना लाभकारी होता है। बुढ़ापे में पेशाब से बदबू आने पर भी बेंजोइक एसिड औषधि का सेवन करना चाहिए। पेशाब में धातु का आना। सूजाक दब जाने के बाद मूत्राशय में विकार होना तथा मूत्राशय की सूजन में बेंजोइकम एसिड औषधि का सेवन लाभकारी होता है। यह औषधि सभी रोगों को ठीक करने में लाभकारी होती है।
9. सांस संस्थान से संबन्धित लक्षण :
सांस संबन्धी परेशानी होने पर सुबह के समय आवाज खराब हो जाता है तथा रोगी में दमा युक्त खांसी उत्पन्न होती है जो खांसी रात में या बायें करवट सोने से बढ़ जाती है। हृदय के आस-पास दर्द रहता है। खांसी के साथ हरे रंग का बलगम निकलता है। इस तरह के सांस संबन्धी परेशानी में बेंजोइक एसिड औषधि का प्रयोग करें। इससे सांस के रोग दूर होते हैं।
10. पीठ से संबन्धित लक्षण :
जिस व्यक्ति की रीढ़ की हड्डी पर दबाव महसूस होता है, त्रिकास्थ में ठण्डक महसूस होती है, जिगर में हल्का दर्द होता है और दर्द शराब पीने से बढ़ जाता है तो रोगी को बेंजोइकम एसिड औषधि का सेवन कराना चाहिए। इससे रोग में आराम मिलता है।
11. बाहरी अंगों से संबन्धित लक्षण :
चलते समय जोड़ों में कड़कड़ाहट होती है, चीर-फाड़ की तरह दर्द होता है और सुई चुभन जैसा दर्द होता है। टखने की मोटी कण्डरा में दर्द होता है। आमवाती गठिया, गांठें अत्यंत दर्दनाक, छोटे-छोटे जोड़ों पर गांठ बनना। कण्डराओं में रसौलियां, कलाई पर सूजन। घुटनों का दर्द और सूजन। पैर के अंगूठें का कठोर सूजन। पांव के अंगूठे में चीर-फाड़ किये जाने जैसा दर्द होना आदि रोग में बेंजोइकम एसिड औषधि का प्रयोग कर रोग को समाप्त किया जाता है।
12. बुखार (ज्वर) से संबन्धित लक्षण :
हाथ-पैर, घुटने व पीठ में तेज ठण्ड लगना, सर्दी लगना, ठण्डा पसीना आना, जागने पर अन्दर-ही-अन्दर गर्मी महसूस होना है। ऐसे में बेंजोइकम एसिड औषधि का सेवन लाभकारी होता है।
13. त्वचा से संबन्धित लक्षण :
त्वचा पर लाल धब्बे होना तथा त्वचा पर उत्पन्न धब्बे में खुजली होना आदि रोगों में बेंजोइक एसिड औषधि का प्रयोग लाभकारी होता है।
वृद्धि :
खुली हवा में घुमने से तथा नंगे बदन रहने से रोगों में वृद्धि होती है।
तुलना :
बेंजोइक एसिड औषधि की तुलना नाइट्रिक एसिड, अमोनियम बेंजी, सैबाइना, ट्रौपोलम आदि से की जाती है।
गठिया रोग में काल्चिकम के सेवन से लाभ न मिलने पर कोपेवा औषधि का प्रयोग करना चाहिए।
हानिकारक :
बेंजोइकम एसिड औषधि के प्रयोग के साथ कोपेवा औषधि का प्रयोग करना हानिकारक होता है।
मात्रा :
बेंजोइकम एसिड औषधि की 3 से 6 शक्ति का प्रयोग किया जाता है।