आर्सेनिकम आयोडेटम (Arsenicum Iodatum)

आर्सेनिकम आयोडेटम (Arsenicum Iodatum)

परिचय-
आर्सेनिकम आयोडेटम औषधि आर्सेनिक और आयोडीन को मिलाकर बनी है। इस औषधि के कुछ लक्षण आर्सेनिक और कुछ आयोडीन में पाए जाते हैं। यह एक गम्भीर क्रिया करने वाली औषधि है। आर्सेनिकम आयोडेटम औषधि उन रोगियों के रोग को ठीक करने के लिए उपयोगी है जो खुली हवा पसन्द करते हैं, जबकि आर्सेनिक औषधि उन रोगियों के रोग को ठीक करने के लिए उपयोग किया जाता है जो ठण्ड को बर्दाश्त नहीं कर सकते हैं और यह उन रोगियों के रोग को ठीक करने के लिए उपयोगी है जो गर्मी बर्दाश्त नहीं कर सकते हैं।
जिन रोगियों के शरीर के अन्दर तथा बाहर जलोदर रोग (जल भरने के कारण सूजन होना) हो जाता है, मृत्यु का डर, जलन और बेचैनी होती है, रोगी को अधिक भूख लगती है जिसके कारण अधिक परेशानी होती है, जब रोगी खाना खा लेता है तो उसे कुछ आराम महसूस होता है तथा रोगी के शरीर के कई अंगों पर गिल्टियां फूलकर सख्त हो जाते हैं। इस प्रकार के लक्षणों में से यदि कोई भी लक्षण किसी व्यक्ति को हो गया है तो उसके रोग को ठीक करने के लिए आर्सेनिकम आयोडेटम औषधि उपयोग करना चाहिए।
जिन रोगियों के शरीर के किसी भाग में सूजन तथा गिल्टियां हो गई हो तथा इसके साथ ही उसे मृत्यु का डर लग रहा हो, चिड़चिड़ापन महसूस हो रहा हो, इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी को किसी भी प्रश्नों का उत्तर देने का मन नहीं करता है, उदास रहता है, असन्तोषी, डरपोंक और अधीर हो जाता है, कोई काम करना नहीं चाहता, घरेलू काम में मन नहीं लगता, मानसिक परिश्रम करने से परेशानी होती है, रोगी बहुत अधिक रोता है तथा उसके शरीर की सारी रोंगटे खड़ी रहती हैं। ऐसे लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए आर्सेनिकम आयोडेटम औषधि उपयोग करना चाहिए।
तपेदिक रोग के लक्षण की तरह ही कुछ रोगियों में लक्षण होते हैं जैसे- शरीर में बहुत अधिक कमजोरी महसूस करना, खून की कमी होना, अधिक दुबला तथा पतला होना, शरीर का मांस तथा वजन दिन प्रतिदिन घटना, नब्ज का बहुत तेज चलना, प्रतिदिन शाम के समय में बुखार आ जाना, रात या सुबह के समय में कमजोरी महसूस होना तथा शरीर से पसीना निकलना, फेफड़ों में गड्ढा हो जाना। इस प्रकार के लक्षणों में से यदि कोई भी लक्षण किसी व्यक्ति को हो गया है तो उसके रोग को ठीक करने के लिए आर्सेनिकम आयोडेटम औषधि उपयोग करना चाहिए।
आर्सेनिकम आयोडेटम औषधि तपेदिक रोग से पीड़ित रोगी को रात के समय में पसीना निकल रहा हो तो उसके रोग को ठीक करने के लिए ही लाभदायक नहीं है बल्कि अन्य बाल्यावस्था में होने वाले रोगों को ठीक करने में भी लाभदायक है।
आर्सेनिकम आयोडेटम औषधि निम्नलिखित लक्षणों के रोगियों के रोग को ठीक करने में उपयोगी हैं-
जुकाम, न्यूमोनियां तथा तपेदिक रोग से सम्बन्धित लक्षण :- यदि किसी रोगी को जुकाम, न्यूमोनिया तथा तपेदिक रोग होने के साथ ही अधिक कमजोरी महसूस हो रही हो और रात के समय में शरीर से पसीना निकल रहा हो तो ऐसे रोगी के रोग को ठीक करने के लिए आर्सेनिकम आयोडेटम औषधि का उपयोग करना चाहिए।
स्त्री रोग से सम्बन्धित लक्षण :- यदि किसी स्त्री के स्तन पर बड़े-बड़े फोड़े हो गये हो तथा इसके साथ ही शाम के समय बुखार भी हो गया हो, अधिक कमजोरी महसूस हो रही हो और रात के समय में शरीर से पसीना आ रहा हो तो ऐसी स्त्री रोगी के रोग को ठीक करने के लिए आर्सेनिकम आयोडेटम औषधि का उपयोग करना फायदेमंद होता है।
डिफ्थीरिया तथा प्रदर रोग से सम्बन्धित लक्षण :- डिफ्थरिया रोग तथा प्रदर रोग को ठीक करने के लिए आर्सेनिकम आयोडेटम औषधि उपयोग लाभदायक है।
चर्म रोग से सम्बन्धित लक्षण :- कई प्रकार के चर्म रोग तथा ऐसा चर्म रोग जिसमें सफेद दाग सूखे छिलके समान हो जाता है, दाढ़ी पर एक्जिमा होना जिसमें से चिपचिपा तरल पदार्थ निकलता है, खुजली और ऐसे चर्म रोग जिन्हें पानी से धोने से रोग के लक्षणों में वृद्धि होती है। इस प्रकार के लक्षणों में से यदि कोई भी लक्षण किसी व्यक्ति को हो गया है तो उसके रोग को ठीक करने के लिए आर्सेनिकम आयोडेटम औषधि का उपयोग करना उचित होता है।
यक्ष्मा रोग से सम्बन्धित लक्षण :- यक्ष्मा रोग (टी.बी.) को ठीक करने के लिए आर्सेनिकम आयोडेटम औषधि का उपयोग करना चाहिए लेकिन इस रोग से पीड़ित रोगी में कुछ इस प्रकार के लक्षण भी होने चाहिए- दोपहर के समय में रोगी के शरीर में अधिक गर्मी हो जाती है, रोगी को भारीपन महसूस होता है, नाड़ियां तेज तथा उत्तेजित हो जाती हैं, बुखार हो जाता है तथा शरीर से पसीना निकलता है, किसी-किसी रोगी को अतिसार भी हो जाता है तथा रात के समय में शरीर से अधिक पसीना निकलने लगता है।
सिर से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी को अधिक चक्कर आने लगता है तथा शरीर में कंपकंपी होने लगती है, बूढ़े व्यक्तियों में इस प्रकार के लक्षण अधिक होते हैं। ऐसे रोगी के रोग को ठीक करने के लिए आर्सेनिकम आयोडेटम औषधि का उपयोग करना चाहिए।
नाक से सम्बन्धित लक्षण :- नाक के अगले भाग में तथा पिछले भाग में से पतला, पानी की तरह, त्वचा में जलन पैदा करने वाला, त्वचा को छील देने वाला पदार्थ बहता रहता है तथा रोगी को अधिक छीकें आती हैं। रोगी को नजला के साथ बुखार हो तथा नाक के पास गुदगुदी मचने लगती है, रोगी को छींकने की लगातार इच्छा होती है। पुराना नजला रोग, नाक का अगला भाग सूज जाता है, नाक से अधिक मात्रा में गाढ़ा, पीला, पीब के सामान पदार्थ बहने लगता है, नाक के अन्दर दर्द तथा जलन होने लगती है और रोगी को छींकने में अधिक परेशानी होती है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के लक्षणों को ठीक करने के लिए आर्सेनिकम आयोडेटम औषधि का उपयोग करना चाहिए।
गले से सम्बन्धित लक्षण :- भोजन नली में जलन होने लगती है, गले में सूजन हो जाती है। गले से लेकर होंठों की झिल्ली मोटी हो जाती है। सांस लेने पर बदबू आने लगती है, गले की ग्रन्थियां रोग ग्रस्त हो जाती है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी को ठीक करने के लिए आर्सेनिकम आयोडेटम औषधि का उपयोग करना फायदेमंद होता है।
आंख और कान से सम्बन्धित लक्षण :- गले में गांठ बनने के साथ ही आंखों में जलन होने लगती है। कान में जलन होने के साथ ही उसमें से बदबू आने लगती है, कान की अन्दरूनी झिल्ली मोटी हो जाती है तथा कान में जलन होती है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के लक्षणों को ठीक करने के लिए आर्सेनिकम आयोडेटम औषधि का उपयोग करना लाभदायक होता है।
आमाशय से सम्बन्धित लक्षण :- आमाशय ओर हृदय में तेज दर्द होने लगता है, खाना खाने के एक घंटे बाद उल्टी हो जाती है, जी मिचलाने लगती है, पाचनतंत्र में दर्द होने लगता है और रोगी को तेज प्यास भी लगने लगती है तथा जब रोगी पानी पीता है तो उसे तुरन्त उल्टी हो जाती है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए आर्सेनिकम आयोडेटम औषधि का उपयोग करना उचित होता है।
श्वास संस्थान से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी को हल्की-हल्की खांसी हो जाती है तथा इसके साथ ही नथुने पर दर्द होता है, नाक से जलनकारी कफ के समान तरल पदार्थ निकलने लगता है, किसी-किसी रोगी को न्यूमोनिया हो जाता है और वह किसी भी उपचार से जल्दी ठीक नहीं होता है। रोगी को सूखी खांसी होने के साथ ही हल्का सा बलगम भी निकलने लगता है तथा गला बैठ जाता है जिसके कारण रोगी को बोलने में परेशानी होने लगती है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए आर्सेनिकम आयोडेटम औषधि का उपयोग करना फायदेमंद होता है।
बुखार से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी को बुखार हो जाता है जो बार-बार ठीक होकर होता रहता है और इसके साथ ही रोगी के शरीर से पसीना भी आता रहता है, रात के समय में शरीर से अधिक पसीना निकलता है। रोगी की नाड़ी तेज चलने लगती है तथा कमजोर हो जाती है या अनियमित गति से चलने लगती है और रोगी को अधिक ठण्ड लगती है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के लक्षणों को ठीक करने के लिए आर्सेनिकम आयोडेटम औषधि का उपयोग करना उचित होता है।
सम्बन्ध :-
आर्सेनिक और आयोडीन औषधियों के साथ आर्सेनिकम आयोडेटम औषधि तुलना की जा सकती है।
वृद्धि :-
गर्म हवा, गर्म कमरा, गर्म ओढ़ने से, शारीरिक और मानसिक परिश्रम करने से, मासिकधर्म के समय, चलने से, हरकत करने से, घूमने से तथा ठण्डी नम हवा से रोग के लक्षणों में वृद्धि होने लगती है।
शमन (ह्रास) :-
जब रोगी खुली हवा में रहता है तो उसके रोग के लक्षण नष्ट होने लगते हैं।
मात्रा :-
आर्सेनिकम आयोडेटम औषधि की 2 और 3 शक्ति के विचूर्ण का प्रयोग रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए करना चाहिए। इस औषधि को तैयार करने के बाद इसे रोशनी से बचाकर रखना चाहिए। रोगी को उपचार करने के लिए इसे कुछ समय तक लगातार देते रहना चाहिए।
चिकित्सा के दृष्टि कोण से इसका व्यवहार यक्ष्मा रोग (टी.बी.) की अवस्था में लगभग 4x से आरम्भ करना चाहिए, जिसके फलस्वरूप रोगी को बहुत अधिक लाभ मिलता है और धीरे-धीरे निम्न शक्तियों में घटाकर 2x शक्ति का विचूर्ण 5 ग्रेन दिन में तीन बार देना चाहिए।