कद बढ़ाने के लिए घरेलु उपचार



कद बढ़ाने के लिये सूखी नागौरी, अश्वगंधा की जड़ को कूटकर बारीक कर चूर्ण बना लें। बराबर मात्रा में खांड मिलाकर किसी टाईट ढक्कन वाली कांच की शीशी में रखें। इसे रात सोते समय रोज दो चम्मच गाय के दूध के साथ लें। इससे दुबले व्यक्ति भी मोटे हो जायेंगे। कम कद वाले लोग लंम्बे हो सकते हैं। इससे नया नाखून भी बनना शुरू होता है। इस चूर्ण का सेवन करने से कमजोर व्यक्ति अपने अंदर स्फूर्ति महसूस करने लगता है। इस चूर्ण को लगातार 40 दिन तक लेते रहें। इस चूर्ण को शीतकाल में लेने से अधिक लाभ मिलता है।

सावधानी

इस चूर्ण का सेवन करते समय खटाई, तली चीजें न खायें और जिन्हें आंव की शिकायत हो, तो अश्वगंधा न लें।

किसी कारणवश आप ये चूर्ण नहीं ले पा रहे हैं, तो सुबह व्यायाम करें। व्यायाम में ताड़ासन करना सर्वोत्तम है।
ताड़ासन दोनों हाथ उपर करके सीधे खड़े हो जायें, दीर्घ श्वास लें, हाथ ऊपर धीरे-धीरे उठाते जायें और साथ-साथ पैर की एडियां भी उठती रहे। पूरी एड़ी उठाने के बाद शरीर को पूरी तरह से तान दें और दीर्घ श्वास लें। इससे फेफडे़ फैलते हैं और स्वच्छ वायु मिलती भी है। ताड़ासन करने से स्नायु सक्रिय होकर विस्तृत होते हैं। इसी कारण यह कद बढ़ाने में सहायक साबित होता है।

* 1 से 2 ग्राम अश्वगंधा चूर्ण, 1 से 2 ग्राम काले तिल, 3 से 5 खजूर को 5 से 20 ग्राम गाय के घी में एक महीने तक खाने से लाभ होता है। साथ में पादपश्चिमोत्तानासन, पुल्ल-अप्स करने से एवं हाथ से शरीर झुलाने से ऊँचाई बढ़ती है।
मनुष्य को अपने हाथ तथा पैरों के बल झूलने तथा दौड़ने जैसी कसरतों के अलावा भोजन में प्रोटीन, कैल्शियम तथा विटामिनों की जरूरत बहुत आवश्यक है तथा पौष्टिक भोजन करने से लम्बाई बढ़ने में फायदा मिलता है।

शरीर की लम्बाई बढ़ाने के लिये चुम्बकों का प्रयोग-

शरीर की लम्बाई बढ़ाने के लिये सेरामिक चुम्बकों का प्रयोग कनपटियों पर करना चाहिए। इस प्रयोग में उत्तरी ध्रुव वाले चुम्बकों का उपयोग एक दिन में सिर के दायीं ओर तथा दक्षिणी ध्रुव वाले चुम्बक का उपयोग सिर के बाईं ओर करना चाहिए। दूसरे दिन सिर के आगे और पीछे की ओर तथा सिर के अगले भाग पर उत्तरी ध्रुव वाला चुम्बक तथा इसके पिछले भाग पर दक्षिणी ध्रुव वाले चुम्बक का उपयोग करना चाहिए। चुम्बक का ऐसा प्रयोग लगातार तीन महीने तक करना चाहिए तथा इस प्रयोग के एक सप्ताह तक छोड़कर फिर दुबारा यह प्रयोग 3 महीने तक करना चाहिए और नियमित रूप से चुम्बकित जल को दवाई की मात्रा के बराबर पीना चाहिए।